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ध्रुवस्वामिनी (नाटक): जयशंकर प्रसाद तृतीय अंक : ध्रुवस्वामिनी (शक-दुर्ग के भीतर एक प्रकोष्ठ। तीन मंचों में दो खाली और एक पर ध्रुवस्वामिनी पादपीठ के ऊपर बाएँ पैर पर दाहिना पैर रखकर ...